Saturday, March 3, 2018

जुंबिशें - - - सलाम उन पर



सलाम उन पर - - -

अपनी माँ सुग़रा बेगम पर सलाम, जिनको कि उनके बच्चे बीबी कहते थे.
बहुत धुंधली सी सूरत उनकी मेरे ज़ेहन में बसी है.
मैं पांच छः साल का था कि वह चल बसीं.
अपनी प्यारी नानी पर सलाम जिनका ज़िक्र मैं पहले कर चुका हूँ,
जिनका रंग रूप और रूह मेरे वजूद में बसा हुवा है.
नानी के भाई नाना निसार ख़ान पर सलाम जिनकी तक़रीरों से मेरी मालूमात की बुन्यादें पड़ीं.
भाई मुहम्मद अजमल ख़ान पर सलाम जिनकी खट्टी मीठी यादगारें मेरे ज़ेहन पर नक्श हैं.
मामा मुंशी आफ़ाक़ पर सलाम जो मेरे उस्ताद भी थे.
स्वर्गीय राम आश्रय मिश्र पर सलाम जो सर्वोदय विद्या पीठ इंटर कालेज सलोन के प्रिंसपल थे, (साहब) मेरे आदर्श रहे, मैं उनका प्रिय था.
अपने बचपन के दोस्तों, फुससन, रज़ी, अतहर, सामिन को सलाम भेजता हूँ जो आज भी मुझे माज़ी की वादियों में पहुंचा देते हैं.
मेरे चतीते नफ़ीस और मुबीब भाई को सलाम 
और मेरे रहबर दोस्त शरीफ़ भाई (जिन्होंने ने मुझे दहरियत के ख़ला में ढकेल कर ख़ुद कनारे खड़े हो गए.) पर  सलाम. 
अतीक़ बरकाती को सलाम जो लोगों के काम आते रहते हैं और लोग उनके.
मास्टर शहिद को सलाम जो बहर हाल मुझे अज़ीज़ हैं.
जनाब फ़ारूक़ अहमद जायसी को ख़ुसूसी सलाम जिन्हों ने मेरी शायरी के मुंह पर अरूज़ी लगाम लगा दिया.
आख़ीर में उन सभी परियों को सलाम जिनसे कभी मेरा साहब सलाम हुवा करता था.
सलाम के बाद उन मासूमों को दुआएं जो मेरा मुस्तकबिल हैं.
डा. आसिया चौधरी अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर की हैसियत से नस्लों को इल्म  बाट रही है,
कहते हैं हर मर्द की कामयाबी में किसी औरत का हाथ होता है,
मगर आसिया की कामयाबी में उसके मर्द शिक़वत अली "ग़यास" का हाथ है. दोनों को दुआओं के साथ साथ उनके बच्चों अशअर और सारिया को दुआएं.
दुआएँ मेरी छोटी बेटी फ़रह ख़ान को, जो अपने शौहर कर्नल अशरफ़ ख़ान, अपने बेटी अनमोल और बेटे अरमान के साथ मुमबासा में क़याम  करती है .
अनमोल नें मेरे ख़्वाबों को साकार किया है,
मास्को में स्पेस साइंस (अंतरिक्ष विज्ञान) में तालीम हासिल कर रही है.
बड़ा बेटा फ़ैज़ी चौधरी अपने परिवार के साथ UK जा बसा. ज़ायान और सारा हमारे पोते और पोती को दुआएँ.
आख़ीर में दुआएं अपने छोटे बेटे मंज़र चौधरी (बाबर) को
जो बैंगलुरू में अपने परिवार अतिया दो बच्चे ज़ारा और जिबरान के साथ करता है.   

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