Monday, November 28, 2016

Junbishen773



रुबाईयाँ 

इन्सान के मानिंद हुवा उसका मिज़ाज , 
टेक्सों के एवज़ में ही चले राजो-काज,
है दाद-ओ-सितद में वह बहुत ही माहिर,
देता है अगर मुक्ति तो लेता है खिराज.
انسان کے مانند ہوا اسکا مزاج 
ٹیکسوں کے عوض میں ہی چلے راج کاج 
ہے داد و ستد میں وہ بڑا ہی ماہر ،
دیتا ہے گر نجات ، لیتا ہے خراج 


अल्फाज़ के मीनारों में क्या रख्खा है, 
सासों भरे गुब्बारों में क्या रख्खा है,
इस हाल को देखो कि कहाँ है मिल्लत,
माज़ी के इन आसारों में क्या रख्खा है. 
الفاظ کے میناروں میں ، کیا رکھا ہے 
ساسوں بھرے غباروں میں ، کیا رکھا ہے
اس حال میں دیکھو ، کہ کہاں ہے امّت 
ماضی کے ان آساروں میں ، کیا رکّھا ہے 



हिस्सा है खिज़िर* का इसे झटके क्यों हो, 
आगे भी बढ़ो राह में अटके क्यों हो,
टपको कि बहुत तुमने बहारें देखीं,
पक कर भी अभी शाख में लटके क्यों हो.
 लम्बी आयु वाले एक कथित पैग़म्बर *
حصّہ ہے خضر کا، اسے جھٹکے کیوں ہو 
آگے بھی بڑھو ، راہ میں اٹکے کتوں ہو 
تپکو کہ بہت تھمنے بہاریں دیکھیں 
پک کر بھی ابھی ڈال میں اٹکے کیوں ہو 

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Friday, November 25, 2016

Junbishen 772

रुबाईयाँ 

हैवान हुवा क्यूँ न भला, तख्ता ए मश्क़
इंसान का होना है, रज़ाए अहमक
शैतान कराता फिरे, इन्सां से गुनाह
अल्लाह करता रहे, उट्ठक बैठक
حیوان ہوا کیوں نہ بھلا تختہ ے مشق 
انسان کا ہونا ہے رضا ے احمق 
شیطان کرتا پھرے ، انساں سے گناہ 
الله کرا تا رہے ، اٹھک بیٹھک 




साइंस की सदाक़त पे यकीं रखता हूँ,
अफकार ओ सरोकार का दीं रखता हूँ, 
सच की देवी का मैं पुजारी ठहरा, 
बस दिल में यही माहे-जबीं रखता हूँ.
سائنس کی صداقت پہ یقیں رکھتا ہوں 
افکار و سروکار کا دیں رکھتا ہوں 
سچ کی دیوی کا میں پجاری ٹھہرا 
بس دل میں یہی ماہ جبیں رکھتا ہوں 



ना ख्वान्दा ओ जाहिल में बचेंगे मुल्ला,
नाकारा ओ काहिल में बचेगे मुल्ला,
बेदार के क़ब्जे में समंदर होगा, 
सीपी भरे साहिल पे बचेगे मुल्ला.
نا خواندہ و جاہل میں بچینگے مللہ 
نا کارہ و کاحل میں بچینگے مللہ 
بیداروں کے قبضے میں سمندر ہوگا 
سیپی بھرے ساحل بچینگے مللہ

Monday, November 21, 2016

Junbishen 771


रुबाईयाँ 


हैवान हुवा क्यूँ न भला, तख्ता ए मश्क़
इंसान का होना है, रज़ाए अहमक
शैतान कराता फिरे, इन्सां से गुनाह
अल्लाह करता रहे, उट्ठक बैठक

حیوان ہوا کیوں نہ بھلا تختہ ے مشق 
انسان کا ہونا ہے رضا ے احمق 
شیطان کرتا پھرے ، انساں سے گناہ 
الله کرا تا رہے ، اٹھک بیٹھک 

साइंस की सदाक़त पे यकीं रखता हूँ,
अफकार ओ सरोकार का दीं रखता हूँ, 
सच की देवी का मैं पुजारी ठहरा, 
बस दिल में यही माहे-जबीं रखता हूँ.
سائنس کی صداقت پہ یقیں رکھتا ہوں ، 
افکار و سروکار کا دیں رکھتا ہوں ،
سچ کی دیوی کا میں پجاری ٹھہرا ،
بس دل میں یہی ماہ جبیں رکھتا ہوں . 

ना ख्वान्दा ओ जाहिल में बचेंगे मुल्ला,
नाकारा ओ काहिल में बचेगे मुल्ला,
बेदार के क़ब्जे में समंदर होगा, 
सीपी भरे साहिल पे बचेगे मुल्ला.
نا خواندہ و جاہل میں بچینگے مللہ 
نا کارہ و کاحل میں بچینگے مللہ 
بیداروں کے قبضے میں سمندر ہوگا
سیپی بھرے ساحل بچینگے مللہ 

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Friday, November 18, 2016

Junbishen 770

रुबाईयाँ


मज़हब है रहे गुम पे, दिशा हीन धरम हैं,
आपस में दया भाव नहीं है, न करम हैं,
तलवार, धनुष बाण उठाए दोनों,
मानव के लिए पीड़ा हैं, इंसान के ग़म हैं।

مذہب ہے رہ گم پہ ، دشا ہین دھرم 
آپس میں دیا بھاؤ نہیں ہے ، نہ کرم 
تلوار ، دھنش بان ، اٹھاۓ دونو 
مانؤ کے لئے پیڑا ہیں ، انسان کے غم ٠ 
****
सच्चे को बसद शान ही, बन्ने न दिया
बस साहिबे ईमान ही, बन्ने न दिया
पैदा होते ही कानों में, फूँक दिया झूट
इंसान को इंसान ही, बन्ने न दिया
بچے کو بصد شان ہی بننے نہ دیا 
بس صاحب ایمان ہی بننے نہ دیا 
پیدا ہوتے ہی کان میں پھونک جھوٹ 
انسان کو انسان ہی بننے نہ دیا
***
ये लाडले, प्यारे, ये दुलारे मज़हब
धरती पे घनी रात हैं, सारे मज़हब
मंसूर हों, तबरेज़ हों, या फिर सरमद
इन्सान को हर हाल में, मारे मज़हब
یہ لاڈلے پیارے ، یہ دلارے مذہب 
دھرتی پہ گھنی رات ہیں سارے مذہب 
منصور ہوں ، تبریز ہوں یا پھر سرمد 
انسان کو ہر حال میں مارے مذہب 
***

Thursday, November 17, 2016

Junbishen 769

मुस्कान 

भतीजे के नाम 

मत आना इनके जाल में ऐ मेरे भतीजे ,
अक़्साम इए खुद हैं ये क़यासों के नतीजे। 

जो बात तुझे लगती हो फ़ितरत के मुख़ालिफ़ ,
उस बात पे हरगिज़ न मेरे लाल पसीजे। 

जालों को बिछाए हैं ये रिश्तों के शिकारी ,
बहने हों कि भाई हों कि साले हों कि जीजे। 

मिटटी को निजी चाक के तू कर दे हवाले ,
माँ बाप की मुठ्ठी तो रहेंगी तुझे मींजे। 

दिखला दे ज़माने को तेरा रंग ही जुदा है ,
टक्कर में तेरे कोई भी दूजे हैं न तीजे।

بھتیجے کے نام 

مت آنا انکے جال میں ایے میرے بھتیجے 
اقسام ے خدا ہیں یہ  قیاسوں کے نتیجے 

جو بات تجھے لگتی ہو فطرت کے مخالف 
اس بات پہ  ہرگز نہ میرے لعل پسیجے 

جالوں کو بچھاۓ ہیں یہ رشتوں کے شکاری 
بہنیں ہوں کہ بھائی ہوں کہ سالے ہوں کہ جیجے 

مٹتی کو نجی چاک کے تو کر دے حوالے 
ماں باپ کی مٹھی تو رہیگی تجھے مینجے 

دکھلا دے زمانے کو تیرا رنگ ہی جدا ہے 
ٹکّر میں تیرے کوئی بھی دوجے ہیں نہ تیجے 


Monday, November 14, 2016

Junbishen 768



चेहरे 

सीमीं ज़ुल्फ़ें हैँ , नुकरई चेहरा ,
तोले माशे क कीमती चेहरा। 

दिल को बहलाऊँ याकि दहलाऊं ?
देख कर उसका रुस्तमी चेहरा।

पीकदानों के पास रहता है ,
कथ्थई मुंह है , गुटकई चेहरा।

रुख पे रौनक़ उधार की सी है 
है बखीली , किफायती चेहरा।

चल  नहीं पाता , अन्न क दुश्मन ,
तन घिड़ौची है , मटकई चेहरा।

हम भी दुम्बों से गोश्त छीनेंगे ,
है ये ग़ुरबत का आरजी चेहरा।

तुम पे यह इल्म है मुसल्लत सा ,
उतार फेंको , क़ाग़ज़ी चेहरा।

चेहरा मुंकिर का , दिल के जैसा है ,
ख़ूब सूरत , सलोनवी चेहरा।


چہرے 


سیمیں زلفیں ہیں، نقرئی چہرہ 
تولے ماشے کا، قیمتی چہرہ ٠ 
دل کو بہلاؤں، یا دہلاؤں 
دیکھ کر اسکا، رستمی چہرہ ٠ 
پیک دانوں کے پاس رہتا ہے 
کتھتھئی منہ ہے، گٹکئی چہرہ ٠ 
رخ پہ رونق ، ادھار کی سی ہے ،
ہے بخیلی ، کفایتی چہرہ ٠ 
چل نہیں پاتا انن کا دشمن 
تن گھڑوچی ہے مٹکئی چہرہ ٠ 
ہم بھی دمبوں سے، گوشت چھینیگے 
ہے یہ غربت کا، عارضی چہرہ ٠ 
تم پہ یہ علم، ہے مسلّط سا 
اب اتارو، یہ کاغذی چہرہ ٠ 
چہرہ 'منکر' کا دل ہی جیسا ہے 
خوب صورت سلونوی چہرہ ٠ 

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Friday, November 11, 2016

Junbishen 767

मुस्कुराहटें 

शेखू ----

हर सच पे ही लाहौल1 पढ़ा करता है शेखू ,
हर झूट दलीलों से गढा करता है शेखू।

चाट करता है बेवाओं , यतीमों की अमानत,
कुफ़्फ़ारह2 दुआओं से, अदा करता है शेखू ।

देता है सबक सब को, क़िनाअत 3की सब्र की ।
ख़ुद मुर्गे-मुसल्लम पे, चढा करता है शेखू ।

दो बीवी निंभाता है, शरीअत4 के तहत वह,
दोनों को फ़क़त निस्फ़,5 अता करता है शेखू ।

हर शाम मुरीदों को चराता है इल्मे-ताक,
हर सुब्ह इल्मे-खाक पढ़ा करता है शेखू ।

बख्शेगी इसे दुन्या, न बख्शेगा खुदा ही ,
'मुंकिर' ये खताओं पे खता करता है शेखू ।

१-धिक्कार २- प्रायश्चित ३-संतोष ४-धर्म-विधान ५-आधा
*
شیخوووو 

ہر سچ پہ ہی لاحول، پڑھا کرتا ہے شیخو 
ہر جھوٹ دلیلوں سے، گڑھا کرتا ہے  شیخو٠ 
چٹ کرتا ہے بیواؤں ، یتیموں کی امانت 
کفّارہ دعاؤں سے، ادا کرتا ہے  شیخو٠ 
دیتا ہے سبق سب کو، قناعت کی رضا کی 
خود مرغ مسلّم پہ، چڑھا کرتا ہے  شیخو ٠ 
دو بیوی نبھاتا ہے ، شریعت کے تحت وہ
دونوں کو فقط نصف، دیا کرتا ہے  شیخو٠ 
ہر شام مریدوں کو،  چراتا ہے حدیثیں 
خود جنکو شب و روز، گڑھا کرتا ہے شیخو ٠ 
بخشیگی اسے دنیا ، نہ بخشےگا خدا ہی 
'منکر'جی ! خطاؤں پہ خطا کرتا ہے  شیخو ٠ 

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Thursday, November 10, 2016

Junbishen 766



मुस्कुराहटें 
फकीर का ज़मीर

कम बख्त इक फ़कीर जो दफ्तर में आ घुसा,
बोला कि बेटा जीता रहे, लिख दे ख़त मेरा।
कागज़, कलम था हाथ में, बढ़ कर थमा दिया,
मैं ने भी कारे-खैर यह फ़ैसला किया।
कहने लगा कि जोरू को लिख दे मेरा सलाम,
लिख दे कि आज कल ज़रा ढीला है अपना काम।
माहे-रवाँ में लिख दे कि गर्दिश मेहरबां,
इस वजह सिर्फ़ साठ सौ रपया है कुल रवां।
अगले महीने काफी बचत की उम्मीद है,
हिंदू की है दीवाली, मुसलमां की ईद है।
मैं ने कहा ये लो, बुरे हल लिख दिया,
कहने लगा कि, "बेटा अब हो जाए कुछ भला"
यह सुन के सर फिरा तो तवाज़ुन1 बिगड़ गया,
मुंह से निकल गया कि तेरी --------------

१-संतुलन

*
فقیر کا ضمیر 

کمبخت ، اک فقیر کل دفتر میں آ گھسا 
بولا کہ بیٹا جیتا رہے ، لکھ دے خط مرا 
کاغزقلم مجھے، بسماجت تھما دیا 
میں نے نیے ثواب کا ، یہ قصد جو کیا 
کہنے لگا کہ جورو کو، لکھ دے مرا سلام 
لکھ دے کہ آج کل ذرا، ڈھیلا ہے اپنا کام 
ماہ رواں میں لکھ دے، کہ گردش ہے مہرباں 
اس وجہ صرف ساٹھ سو روپیہ ہیں کل رواں ٠ 
اگلے مہینے کافی بچت کی امید ہے 
ہندو کی دیوالی ہے ، مسلماں کی عید ہے ٠ 
میں نے کہا ، یہ لو کہ برے حال لکھ دیا 
کہنے لگا کہ بھیّہ جی! ہو جاۓ کچھ بھلا ٠ 
یہ سن کے سر پھرا ، تو توازن بگڑ گیا 
منہ سے نکل گیا کہ تیری - - - - - - ٠

Monday, November 7, 2016

Junbishen 765



छीछा लेदर

ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी,
भए न्याय के सब अधिकारी।
इन सब को अपराधी जान्यो,
सभै की मौन समाधि जान्यो।
निर्बल जीव को पापी संजयो,
ताड़क को परतापी समझयो।
इनके मूडे सींग उग आई,
इनके मार से कौन बचाई?
गंवरा भए शहर के बासी,
न्याय धीश हैं चमरा पासी।
पशुअन तक सनरक्षन पाइन,
सवरण जान्यो जनम गंवाइन।
नारी माँ बेटी बन बनयाई,
तुलसी बाबा राम दुहाई।
*
چھچھ لیدر 

دھول گنوار شودر پشو ناری 
بھئے نیاۓ کے سب ادھیکاری 
ان سب کو اپرادھی جانیو 
سبھے کے ایک سمادھی جانیو 
نربل جیو کو پپی سمجھیو 
ترک کو پرتآپی سمجھیو 
انکے موڑے سینگ اگ آئ 
انکے مار سے کؤن بچائی 
گنورا بھئے شہر کے باسی 
نیاے دہش ہیں چمڑا پاسی 
پشوون تک سنرکچھن پائن 
سورن جانیو جنم گوائن 
ناری ماں بیٹی بنیائی 
تلسی بابا رام دہائی ٠  

Friday, November 4, 2016

Junbishen 764





डुबोया मुझको होने ने 

जनम है इक जंजाल अजन्मो , जनम से जान बचाना तुम , 
मेरी बात नहीं माने तो, जीवन भर पछताना तुम .
जनम अगर हिन्दू में पाया , छूत छात में जाना तुम .
जनम अगर मुस्लिम में पाया , जड़ अपनी कटवाना तुम .
जनम अगर सिख्खों में पाया, बाल के जाल रखाना तुम. 
जनम अगर बुद्धों में पाया, तो भिक्षु बन जाना तुम .
धरम का चूहेदान जो बदला , ईसोई बन जाना तुम. 
या तो बाबा की कुटिया पर धूनी कहीं रमाना तुम .

नहीं अगर माने तो आकर, घुट घुट कर मर जाना तुम ,
प्रदूषण है जात पात की , आकर आन गंवाना तुम ,
जनम की खातिर नहीं उचित है, भारत का माहौल अभी ,
कुछ सदियों तक रुके रहो, जनम पे हो लाहौल अभी .,

******

ڈبویا مجھکو ہونے نے 

جنم ہے اک جنجال اجنمو ! جنم سے جان بچانا تم 
 میری بات نہیں مانے تو، جیون بھر پچھتانا تم 
جنم اگر ہندو میں پایا، چھوت چھات میں جانا تم
جنم اگر مسلم میں پایا ، جڑ اپنی کٹوانا تم 
جنم اگر سکھوں میں پایا، بال کے جال رکنا تم 
جنم اگر بدھوں میں پایا ، بھکچھ پاتر اٹھانا تم 
دھرم کا چوہادان جو بدلہ ،چنگے منگے ہو جانا تم 
یا تو بابا کی کٹیا پر دھونی کہیں رمانا تم 
نہیں اگر مانے تو آکر گھٹ گھٹ کر مر جانا تم 
عمل دخل ہے جات پات کا، آکر آ ن گوانا تم 
جنم کی خاطر نہیں مناسب، بھارت کا ماحول ابھی 
 کچھ صدیوں تک رکے رہو ، جنم پہ ہو لاحول ابھی  

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Wednesday, November 2, 2016

Junbishen 763



मुस्कान 

साझेदारी 

फ़न का माहिर हूँ ज़ात रखता हूँ ,
मैं उरूज़ी बिसात रखता हूँ ,
बस कि आवाज़ ही नहीं पाई ,
तुम में मूसूक़ी है मेरे भाई .
आओ ग़जलों का कारोबार करें ,
अपनी ग़ुरबत को शर्म सार,
दाल रोटी का कुछ सहारा हो ,
ग़ज़लें मेरी गला तुम्हारा हो ,
आधे आधे की हिस्से दारी हो ,
मैं हूँ शायर कि तुम मदारी हो . 
*

ساجھیداری 

فن کا ماہر ہوں ، ذات رکھتا ہوں 
میں عروضی بساط رکھتا ہوں 
بس کہ آواز ہی نہیں پائی 
تم میں موسوقیت ہے ائے بھائی 

آ و غزلوں کا کاروبار کریں 
اپنی غربت کو شرم سار کریں 
دال روٹی کا کچھ سہارا ہو 
غزلیں میری ، گلا تمہارا ہو 
تم اپنے نام سے میرا کلام پڑھتے رہو 
میری روحوں پہ راگ مڑھتے رہو 
آدھے آدھے کی حصّے داری ہو
 ہم ہیں شائر کہ تم مداری ہو ٠ 

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