Wednesday, April 6, 2016

Junbishen 773




ग़ज़ल

तुम भी अवाम की, ही तरह डगमडा गए,
मेरे यकीं के शीशे पे, पत्थर चला गए.

घायल अमल हैं, और नज़रिया लहू लुहान,
तलवार तुम दलील की, ऐसी चला गए.

मफरूज़ा हादसात, तसुव्वुर में थे मेरे,
तुम कार साज़ बन के, हक़ीक़त में आ गए.

पोशीदा एक डर था, मेरे ला शऊर में,
माहिर हो नफ़्सियात के, चाक़ू थमा गए.

भेड़ों के साथ साथ, रवाँ आप थे जनाब,
उन के ही साथ गिन जो दिया, तिलमिला गए.

खुद एतमादी मेरी, खुदा को बुरी लगी,
सौ कोडे आ के उसके सिपाही लगा गए.
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*मफरूज़ा=कल्पित *कार साज़=सहायक *ला शऊर=अचेतन मन *नफ़्सियात=मनो विज्ञानं *खुद एतमादी=आत्म विश्वास

غزل
تم بھی عوام کی طرح ہی ، ڈگمگا گئے
میرے یقیں کے شیشے پہ ، پتھر چلا گئے ٠ 

گھایل عمل ہیں اور نظریہ لہو لہان 
تلوار تم دلیل کی، ایسی چلا گئے ٠ 

مفروضہ حادثات، تخیّل میں تھے مرے 
تم چارہ ساز بن کے، حقیقت میں آ گئے ٠ 

پوشیدہ ایک ڈر تھا مرے لا شعور میں 
ماہر تھے نفسیات کے ، چاقو تھما گئے ٠ 

خود عتماد ی میری خدا کو بری لگی 
سو کورے آ کے ، اسکے سپاہی لگا گئے ٠

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