Monday, August 3, 2015

Junbishen 669



शक बहक 
यकीं बहुत कर चुके हो यारो ,
इक मरहला1 है, गुमाँ2 को समझो .

यकीं है अक्सर तुम्हारी गफ़लत ,
खिरद3 के आबे-रवां को समझो .

अक़ीदतें और आस्थाएँ ,
यकीं की धुंधली सी रह गुज़र4 हैं .

ख़रीदती हैं यह सादा लौही5,
यकीं की नाक़िस दुकाँ को समझो .

१-पड़ाव २-अविश्वाश का उचित मार्ग ३-अक्ल ४-सरल स्वभाव ५-हानि करक

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