Saturday, May 2, 2015

Deewan 55 Ghazal


मअज़रत

मेरे यारो ! न गर बुरा मानो ,
देर तक मेरे पास मत बैठो ,
मेरी दुल्हन उदास होती है ,
तनहा पाकर ही पास होती है 

मेरी दुल्हन है मेरी तन्हाई ,
लेके आती है ऐसी अंगड़ाई ,
कायनातों का राज़ देती है ,
शेर माँगूं बयाज़2 देती है 
१ क्षमा याचना २ कविता-पोथी 

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