Sunday, January 4, 2015

Deewan 51 Ghazal




1 comment:

  1. जरीगर के ज़ेरे-बार से जबरे ख़ाक हुवा.,
    माहो-अख़्तर ले किस काफ़ चला था ये.....

    ज़ेरे-बार = ऋण

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