Sunday, December 14, 2014

Deewan 41 Ghazal



1 comment:

  1. हज्जे-अक़बर हो के हाज़ी ख़ुद हजर हुवे..,
    हजरे-असवद के रस्ते कोई गो जबीं भी हो.....

    हज्जे-अक़बर = जुमे को किया जाने वाला हज़
    हाज़ी = हज़ करने वाले
    हजर, हजरे-असवद = क़ाबे की दीवार में लगा काला-पत्थर

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