भावार्थ : - चोरी चकारी की ताक में चोर पीछे पीछे चल रहे हैं । एयर सुध पुरुष इत्र इत्र के कह रहा है मेरे हाय रे मेरे तो कितने ही अनुशरण कर्त्ता हैं बोले तो फल्लोभर्स हैं ॥
हिन्दू के लिए मैं इक मुस्लिम ही हूँ आख़िर,
मुस्लिम ये समझते हैं गुमराह है काफिर,
इनसान भी होते हैं कुछ लोग जहाँ में,
गफलत में हैं ये दोनों ,समझाएगा
'मुंकिर'।
चोरक पाछु पाछु चले, ताकें चोरि चकारि ।
ReplyDeleteसिद्ध पुरुख इतरा कहे, हमरे अनुहर भारि ।२०७८।
भावार्थ : - चोरी चकारी की ताक में चोर पीछे पीछे चल रहे हैं । एयर सुध पुरुष इत्र इत्र के कह रहा है मेरे हाय रे मेरे तो कितने ही अनुशरण कर्त्ता हैं बोले तो फल्लोभर्स हैं ॥