Monday, October 13, 2014

Junbishen 240



गज़ल
आओ चलें बहार में, बैठे हैं इंतज़ार में ,
रस्म ए कुहन इजाज़तें, डूबी हुई हैं ग़ार में .

माना कि आप हैं हसीं, माना जवान साल हैं ,
मैं भी खड़ा हूँ देर से, आ जाइए क़तार में ,

लिख्खे हुए वरक़ जो, छीटें ज़रा सी पड़ गईं ,
माने सभी बदल गए, देखिए चश्म ए यार में . 

उनको जिहद की दाद दो, जिनको खुदा ने सब दिया ,
उनके लिए खुदाई है, उनके ही अख्तियार में .

नेक अमल इबादतें, उज्र ओ जज़ा के वास्ते ,
अपने तईं वह कर चुका, बैठा है इंतज़ार में . 

सोने दे अब अना को तू, थक सी गईं हैं ये जुनैद,
राह फ़रार तू भी ले, ख़तरा है इक़्तेदार में .

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