Tuesday, August 26, 2014

Junbishen 231


मुस्कुराहटें 

ख़बरदार 
(मादरी ज़बान में) 

अपने मन के चर का खेदो , चोर चोर चिल्लाएव जिन ,
अपने मन माँ खोट जो जानेव , खरि खरि बात सूनाएव जिन .

आए गयो तो सर आँखन पर , मुल्ला जी औ पंडित जी ,
जाउन कथा हम सुनि सुनि थकिगे , ओहका फिन दोहराएव जिन . 

आवत जात हैं लाल बुझक्कड़ अउर मदारी , इयाँ हुवां ,
आस पास जब तुम्हरे आवैं , देख्यो पन बउराएव जिन .

जात पात की बात करैं , जो अपने मत पर नाज़ करैं ,
उनके मज़हब के उपले , मुंह पर अपने पथवाएव जिन .

दुइन बहुत हैं, पालौ पोसव अउर पढ़ाओ ताऊ जी , 
धरती डांवां डोल भई है , एह पर बोझ बढाएव जिन .

इशक नहीं वोह खेल कि जिह्का तुम जईसे लरिकै खेलैं ,
मुंकिर दुबिहव ई गढ़ही मां , आगे गोड़ बढा एवजिन .
* जिन = dont 
*
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