Tuesday, July 15, 2014

Junbishen 314


मुस्कुराहटें 
मुहाविरों के बोल 

कुछ पाना, कुछ खोते रहना ,
तुम बस, रोते धोते रहना .

फूल की सेजें खोते रहना , 
राह में कांटे बोते रहना .

जो बोले दरवाज़ा खोले ,
जागे हो तो सोते रहना .

नौ मन तेल पे राधा नाचे ,
तेली बैल को जोते रहना .

आँख के अंधे नाम नयन सुख ,
सूरदास सब टोते रहना .

धोबी के कुत्ते मत बनना ,
घर के घाट के होते रहना .

भैंस है उसकी जिसकी लाठी ,
पाप की गठरी ढोते रहना .

नाच न आवे आँगन टेढ़ा , 
पीर की तीर चुभोते रहना .

भाग की रोटी जुरवा खाए ,
मुनकिर रूप को रोते रहना .

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