Sunday, March 30, 2014

Junbishen 167



मुस्कुराहटें 

डुबोया मुझको होने ने 

जनम है इक जंजाल अजन्मो , जनम से जान बचाना तुम , 
मेरी बात नहीं माने तो, जीवन भर पछताना तुम .
जनम अगर हिन्दू में पाया , छूत छात में जाना तुम .
जनम अगर मुस्लिम में पाया , जड़ अपनी कटवाना तुम .
जनम अगर सिख्खों में पाया, बाल के जाल रखाना तुम. 
जनम अगर बुद्धों में पाया, तो भिक्षु बन जाना तुम .
धरम का चूहेदान जो बदला , ईसोई बन जाना तुम. 
या तो बाबा की कुटिया पर धूनी कहीं रमाना तुम .

नहीं अगर माने तो आकर, घुट घुट कर मर जाना तुम ,
प्रदूषण है जात पात की , आकर आन गंवाना तुम ,
जनम की खातिर नहीं उचित है, भारत का माहौल अभी ,
कुछ सदियों तक रुके रहो, जनम पे हो लाहौल अभी ..

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