Wednesday, March 12, 2014

Junbishen 158



नज़्म 

 कमसिन रहनुमा

कमसिन था रह नुमा, कि जवाँ साल मर गया ,
अध् कचरे से उसूल, दिमागों में भर गया,
अब तक जिन्हें गले से, लगाए हुए हो तुम ,
बोसीदगी1 से घर को, सजाए हुए हो तुम।
पूरी जो उम्र पाता, समझता वह भूल ख़ुद ,
मतरूक2 करके जाता, वह अपने उसूल ख़ुद।
१-जीर्णता २-अप्रचलित

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