Monday, June 10, 2013

Junbishen 28


दोहे 

मन को इतना मार मत , मर जाएँ अरमान ,
अरमानों के जाल में, मत दे अपनी जान .

*
चित को क़ैदी कर गई , लोहे की दीवार 
बड़ी तिजोरी में छिपी , दौलत की अंबार .

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तुलसी बाबा की कथा, है धारा परवाह,
राम लखन के काल के, जैसे होएं गवाह।

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भाई पडोसी को लड़ा, हो तेरा उद्धार,
अमरीका यरोप बेच लें, काई लगे हथियार 
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अम्रीका योरोप हैं जगे, जगे चीन जापान,
दीन धरम की नींद में, पड़ा है हिन्दुस्तान.

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