Saturday, May 11, 2013

Junbishen 14


क़फ़्से इन्कलाब1

हद बंदियों में करके, आज़ाद कर गए,
दी है नजात या फिर, बेदाद कर गए।

अरबो-अजम,हरब के, दर्जाते-इम्तियाज़4,
अपनों को दूसरों पर, आबाद कर गए।

जिस्मो, दिलों,दिमागों पर, हुक्मरान हैं वह,
बे बालो पर हमें यूँ ,सय्याद कर गए।

ज़ेहनो में भर दिया है, इक आख़िरी निज़ाम ,
हर नक्श इर्तेक़ा को, बरबाद कर गए।

इंसान चाहता है,  बेख़ौफ़ ज़िन्दगी,
वह सहमी सी, ससी सी, इरशाद कर गए।

इक्कीसवीं सदी में, आया है होश 'मुंकिर',
उनके सभी सितम को, फिर याद कर गए।

१-इन्कलाब का पिंजडा २-जुल्म ३-मुल्कों की इस्लामी श्रेणी ४पदोन का अन्तर
५-आखेटक ६- व्यवस्था ७-रचनात्मक चिन्ह ८-फरमान

No comments:

Post a Comment