Friday, December 28, 2012

Dohe



दोहे 


भाई पडोसी को लड़ा, हो तेरा उद्धार,
अमरीका यरोप बेच लें, काई लगे हथियार .
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अम्रीका योरोप हैं जगे, जगे चीन जापान,
दीन धरम की नींद में, पड़ा है हिन्दुस्तान.
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ले कर आपस में लड़ें, दीन धरम का ज्ञान,
इनमे कितना मेल था, जब थे ये अज्ञान.
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चले जिहादी अरब से, न पहुंचे जापान,
भारत आकर फ़ांस गया , इस्लामी अभियान.
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मुल्ला पंडित एक हैं, जनता को लड्वाएं ,
बोएं पेड़ बबूल का, आम मगर ये  खाएँ .
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'मुनकिर' मत दे भीख तू , इसका बड तर अंजाम,
विकलांगों पर कर दया, दे कुछ इनको काम.
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Friday, December 21, 2012

Dohe


दोहे  

ससुरी माया जाल को, सर पे लिया है लाद, 
अपने दुश्मन हो गए, रख कर ये बुन्याद. 
हिन्दू मुलिम लड़ मरे, मरे रज़ा और भीम, 
सुलभ तमाशा बैठ के, देखें राम रहीम. 
मानव-जीवन युक्ति है, संबंधों का जाल, 
मतलब के पाले रहे, बाकी दिया निकाल. 
नादानों की सोच है ऐसा बने विधान,
वैदिक  युग में जा बसे अपना हिदुस्ता.
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इंसानी तहजीब के मिटे हैं कितने रूप,
भगुवा, हरिया टर रटें , खोदें मन में कूप.
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अल्ला को तू भूल जा, मत कर उसका ध्यान,
अल्ला की मखलूक का, पहले कर कल्यान.
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सबसे अच्छी बात है, दुन्या हो महबूब,
अपने आप से प्यार कर, जीवन से मत ऊब.
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Friday, December 14, 2012

Dohe


दोहे 




हम में तुम में रह गई, न नफरत न ही चाह, 
बेहतर है हो जाएं अब, अलग अलग ही राह
'मुनकिर' हड्डी मॉस का , पुतला तू मत पाल, 
तन में मन का शेर है, बाहर इसे निकाल. 
* तुलसी बाबा की कथा, है धारा प्रवाह, 
राम लखन के काल के, जैसे होएँ गवाह. 
कुदरत का ये रूप है, देख खिला है फूल, 
अल्लाह की धुन छोड़ दे, पत्थर पूजा भूल. 
कुदरत ही है आईना, प्रक्रति ही है माप, 
तू भी इसका अंश है, तू भी इसकी ताप. 

Friday, December 7, 2012