Thursday, November 1, 2012

ग़ज़ल- - -सच्चाइयों ने हम से जब तक़रार कर दिया,



सच्चाइयों ने हम से जब तक़रार कर दिया,
हमने ये सर मुक़बिल-ए-दीवार कर दिया.


अपनी ही कायनात से बेज़ार जो हुए,
इनको सलाम, उनको नमस्कार कर दिया।


तन्हाइयों का सांप, जब डसने लगा कभी,
खुद को सुपुर्दे गाज़ी-ए-गुफ़्तार  कर दिया।


देकर ज़कात सदक़ा मुख़य्यर  अवाम ने,
अच्छे भले ग़रीब को बीमार कर दिया।


हाँ को न रोक पाया, नहीं भी न कर सका,
न करदा थे गुनाह कि इक़रार कर दिया।


रूहानी हादसा-ए-अक़ीदत के ज़र्ब ने,
फ़ितरी  असासा क़ौम का बेकार कर दिया.

3 comments:

  1. मुन्किर जी, आप यदि कठिन उर्दू शब्दों के लिए हिंदी शब्द भी दें तो हम जैसों को समझने में आसानी हो जाएगी ... और कृपया आपने ब्लॉग से यह word verification हटा लें ...इससे टिप्पणी करना बहुत कठिन हो जाता है
    साभार!

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  2. मुजाबिर हम से जब तक़रार कर दिया..,
    हमने ये सर मुक़ाबिले-दीवार कर दिया..,

    खुद की ही कायनात से बेज़ार जो हुवे..,
    उनको सलाम करके शर्मशार कर दिया.....

    मुजाबिर = मस्जिद में झाड़ू लगाने वाले,पड़ोसी

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  3. मुजाबिर ने हम से जब तक़रार कर दिया..,

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