Wednesday, July 6, 2011

मैं ? मैं ----




नज़्म 


मैं ----


सदियों की काविशों1 का ये रद्दे अमल2 हूँ मैं ,
लाखों बरस के अज़्म ए मुसलसल3 का फल हूँ मैं ।



हालाते ज़िंदगी ने मुझे, नज़्म4 कर दिया ,
फ़ितरत5 के आईने में, वगरना ग़ज़ल6 हूँ मैं।



मेयारे आम7 होगा कि, जिस के हैं सब असीर8 ,
हस्ती है मेरी अपनी, ख़ुद अपना ही बल हूँ मैं ।



उक़्दा कुशाई9 मेरी, ढलानों पे मत करो ,
थोड़ा सा कुछ फ़राज़10 पे, आओ तो हल हूँ मैं ।



ये तुम पे मुनहसर है, मुझे किस तरह छुओ ,
पत्थर की तरह सख्त, तो कोमल कमल हूँ मैं ।



मुझ को क़सम है रुक्न,हुक़ूक़ुल  इबाद11 की ,
ज़मज़म12 सा पाक साफ़ हूँ, और गंगा जल हूँ मैं ।



इंसानियत से बढ़ के, मेरा दीन कुछ नहीं ,
सच की तरह ज़मीन पर, एकदम अटल हूँ मैं ।



दैर-ओ-रसन का खौफ़, मुनाफ़िक़ की ख़ू नहीं ,
मैं हूँ खुली किताब, बबांगे दुहल14 हूँ मैं ।



मैं कुछ अज़ीम लोगों का, सजदा न कर सका ,
उनकी ही पैरवी में, मगर बा अमल हूँ मैं ।



'मुंकिर' को कोई ज़िद है न कोई जूनून है ,
लाओ किताबे सिदक़15 तो देखो रेहल16 हूँ में ।




१-प्रय्तानो २-प्रतिक्रया ३-लगातार उत्साह ४-शीर्षक अधीन कविता ५-प्रकृति ६-प्रेमिका से वरत्लाप ७-मध्यम अस्तर ८-कैद ९-गाठे खोलना १०-ऊंचाई ११-बन्दों का अधिकार १२-मक्के का जल १३-दोगुला १४-डंके की चोट १५-सच्ची किताब १६-किताब पढने का स्टैंड
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