Thursday, January 22, 2009

आस्तिक और नास्तिक


नज़्म 

आस्तिक और नास्तिक


बच्चों को लुभाते हैं परी देव के क़िस्से,


ज़हनों में यकीं बन के समाते हैं ये क़िस्से,




होते हैं बड़े फिर वह समझते हैं हक़ीक़त,


ज़ेहनों में मगर रहती है कुछ वैसी ही चाहत।




इस मौके पे तैयार खडा रहता है पाखण्ड,


भगवानो-खुदा, भाग्य, कर्म ओ  का क्षमा दंड।




नाकारा जवानों को लुभाती है कहानी,


खोजी को मगर सुन के सताती है कहानी।




कुछ और वह बढ़ता है तो बनता है नास्तिक,


जो बढ़ ही नहीं पारा वह रहता है आस्तिक।

2 comments:

  1. ऐसी कोई बात नहीं होती....अपने अपने संस्‍कार होते हैं...........आप सबों को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।

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  2. आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

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