Friday, January 16, 2009

नज़्म इल्म और लाइल्मी



इल्म और लाइल्मी

मैं ने इक मुल्ला से पूछा,"वाक़ई क्या है खुदा?"


बोला, "हाँ!हाँ!! हाँ!!!, सौ फ़ीसदी से भी सिवा "




और दे डालीं खुदा के हक़ में, इक सौ एक दलील,

एक सौ इक नाम की, लेकर उठा फेहरिस्त तवील।




एक साइंस दाँ से दोहराया, जो मैंने यह सवाल,


कम सुख़न के वास्ते, कुछ भी कहना था मुहाल।




कशमकश में बोला अब तक, जो खुदा मौजूद हैं,


सब के सब साबित हुवा है, झूट तक महदूद हैं।




हाँ! मगर इम्कानो-अंदेशा2 का, मैं 'मुंकिर' नहीं,


हो भी सकता है कहीं पर इक खुदाए ला यकीं।



१-कम वाला 2 संभावनाएं और संशय


1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    ---आपका हार्दिक स्वागत है
    गुलाबी कोंपलें

    ReplyDelete