Friday, December 19, 2008

अपना सूरज



अपना सूरज


अपने सूरज में गर समाना है,
और कुछ कर के ही दिखाना है,

अपनी हस्ती को बर्क़ पर रख के,
तर्क-लज़्ज़त का ज़ायका चख के,

अपने माहौल को सुलाते हुए,
अपने मीरास को भुलाते हुए,

अपने साए को नान्घ कर बढ़ जा,
मरहले डाक, मंज़िलें चढ़ जा।

ख़ुद को पहचान एक साज़ है तू ,
आपो दीपो भवः का राज़ है तू ।

तू जहाँ है वहां पे कोहरा है,
मुन्तज़िर5 तेरा हुस्ने ज़ोहरा६ है।


१-बिजली २-स्वाद त्याग ३-धरोहर ४-पडाव ५-एक सितारा

१-बिजली २-स्वाद त्याग ३-धरोहर ४-पडाव ५-एक सितारा

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